Ragi – Finger Millet – Our Ancient Grains

Popularly known as Finger Millet or Nachni in North India, the grain actually originated in Africa and has been cultivated in Uganda, Ethiopia. It ranks sixth in production after wheat, rice, maize, sorghum and bajra in India. Its scientific name is Eleusine coracana.

Ragi is an extremely nutritious millet, that resembles mustard seeds in appearance. Finger millet is especially valuable as it contains the amino acid methionine. Ragi has one of the highest calcium content amongst all grains.

https://youtu.be/tQc4KQxzs4E

“यह रागी (Finger Millet, Ragi, Raagi) हुई अभागी क्यों?” – हमारे पुरातन अनाज कहीं अपनी चमक खो चुके हैं, आइये सुने इस बहुत ख़ास रचना को ? Our ancient grains have lost its true value over time due, there are over 20 grains that used to part of our routine diet but those have been replaced by hybrid grains that have ruined our soil, water, environment as well as our health. It is time we revive those and bring back to our kitchens. Join me us on this journey for next 2 weeks.

? हमारे प्राचीन अनाज बहुत से हैं, समय के साथ अपना सही मूल्य खो दिया है, 20 से अधिक अनाज हैं जो हमारे नियमित आहार का हिस्सा हुआ करते थे लेकिन हाइब्रिड अनाज ने उनका स्थान ले लिया है जिन्होंने हमारी मिट्टी, पानी, पर्यावरण और स्वास्थय सब को बर्बाद कर दिया है। यह समय है कि हम उन लोगों को पुनर्जीवित करें और अपनी रसोई में वापस लाएं। अगले 2 सप्ताह तक आइये इस यात्रा में हमारे साथ

यह ‘रागी’ हुई अभागी क्यों?
चावल की किस्मत जागी क्यों?
जो ‘ज्वार’ जमी जन-मानस में,
गेहूँ के डर से भागी क्यों?
यूँ होता श्वेत ‘झंगोरा’ है।
यह धान सरीखा गोरा है।
पर यह भी हारा गेहूँ से,
जिसका हर कहीं ढिंढ़ोरा है!
जाने कितने थे अन्न यहाँ?
एक-दूजे से प्रसन्न यहाँ।
जब आया दौर सफेदी का,
हो गए मगर सब खिन्न यहाँ।
अब कहाँ वो ‘कोदो’-‘कुटकी’ है?
‘साँवाँ’ की काया भटकी है।
संन्यासी हुआ ‘बाजरा’ अब,
गुम हुई ‘काँगणी’ छुटकी है।
अब जिसका रंग सुनहरा है।
सब तरफ उन्हीं का पहरा है।
अब कौन सुने मटमैलों की,
गेहूँ का साया गहरा है।
यह देता सबसे कम पोषण।
और करता है ज्यादा शोषण।
तोहफे में दिए रसायन अर
माटी-पानी का अवशोषण।
यह गेहूँ धनिया-सेठ बना।
उपभोगी मोटा पेट बना।
जो हज़म नहीं कर पाए हैं,
उनकी चमड़ी का फेट बना।
अब आएँगे दिन ‘रागी’ के।
उस ‘कुरी’, ‘बटी’, बैरागी के।
जब ‘राजगिरा’ फिर आएगा
और ताज गिरें बड़भागी के।
जब हमला हो ‘हमलाई’ का।
छँट जाए भरम मलाई का।
चीनी पर भारी ‘चीना’ हो,
टूटेगा बंध कलाई का।
बीतेगा दौर गुलामी का।
गोरों की और सलामी का।
जो बची धरोहर अपनी है,
गुज़रा अब वक्त नीलामी का।

नोट :- रागी, ज्वार, झंगोरा, कोदो, कुटकी, साँवाँ, बाजरा, काँगणी, कुरी, बटी, राजगिरा, हमलाई, चीना ये सब विभिन्न प्रकार के अन्न (millet) हैं, जो गेहूँ और चावल की साज़िश के शिकार हुए हैं। कविता प्रतीकात्मक है, जो मात्र अनाजों तक सीमित नहीं है – रामअवतार . Poem author: https://www.facebook.com/ramawtar

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Millet Dough/Atta (मिलेट का सॉफ्ट आटा) https://youtu.be/IWnE7kJy3lk
Millet Kachori (खस्ता मिलेट कचोरी) https://youtu.be/I-GDQe9pYOk
मिलेट से बनाएं आसान और टेस्टी खाना – https://bit.ly/3amTHio

2 Comments


    1. Yes absolutely. And its great. We have already mentioned the author name in the post.We have also provided the link to the facebook with author name

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